शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

भारत का स्वाभिमान बचाने हेतु

भारत का स्वाभिमान बचाने हेतु


एक घन्टा प्रतिदिन अतिरिक्त  राष्ट्र के नाम कार्य करें -

क्या करें:- कर तो आप बहुत कुछ सकते है लेकिन सर्वप्रथम हमे अपने अन्दर अन्तःकरण की शुद्धी करके अंग्रेजी राज के विषाणु, किटाणु,  दुर्गन्धानुओ   को नष्ट करके अपने मन-मस्तिष्क में भारत माँ, भारतीयता के अणु-परमाणु-त्रासरेणु, सुगन्धणु, शुक्राणुओं को प्रस्पुफटित, प्रपफुल्लित करना अनिवार्य है।

कैसे होगा:- सर्वप्रथम एक घन्टा प्रतिदिन राष्ट्र के नाम भारत माता के नाम प्रतिदिन कार्य करें। अतः आज से अभी से संकल्प ले कि मै एक घन्टा प्रतिदिन भारत माँ के लिए कार्य अवश्य कंरुगा।

अब आपके मन मे प्रश्न उठ रहा होगा कि क्या करें:- आप जो भी कार्य करते है, वो ही करें जैसे आप डाॅ. है तो रोगीयों का उपचार करते है तो उपचार ही करें लेकिन एक घन्टा निर्धरित करें कि मै 3 से 4 बजे तक अपने राष्ट्र के नाम रोगियो का उपचार करुंगा तो 3 बजे आप ‘जय भारत’ बोलकर प्रारम्भ करें और 4 बजे जय भारत से ही समापन करें। समय आपकी सुविधनुसार निर्धरित करें उस समय की आय भी आपकी ही है। भारत मां को आपसे कुछ भी नही चाहिए केवल श्र(ा विश्वास के। इसी तरह से आप जो भी कार्य करते है आप किसान है तो कृषि कार्य ही करे आप व्यापारी है तो व्यापार ही करे आप मजदूर है तो मजदूरी ही करे आप दुकानदार, नौकरी, पेशा या अन्य कोई भी है तो भी एक घन्टा प्रतिदिन आराम से र्निविध्न राष्ट्रके नाम कार्य कर सकते है अगर आप विद्यार्थी है तो एक घन्टा राष्ट्र के नाम भी पढ़े। ठीक उपरोक्त की तरह जय भारत बोल कर।

अगर आपको अपने साथियो के बीच जय भारत बोलने मे लाज लज्जा आती है तो उसका भी उपचार है। जब आप रात सोये तो आप भारत माता के नाम पर सोये अपनी निन्द्रा को भारत मां को समर्पित करके सोये इस तरह आप 6 से 7 घन्टे भारत मां का कार्य करेंगे जय भारत बोलकर सोये और जागते ही जय भारत ।

क्योंकि अगर आप सोते है तो आपका स्वास्थ्य ठीक रहता है आपका स्वास्थ्य ठीक होगा तो भारत राष्ट्र का स्वास्थ्य पर व्यय कम होगा अर्थात् जाने अनजाने आपने भारत मां की सेवा की इसी तरह से और कई तरीके हो सकते है। आप सुखी रहेंगे तो भारत सुखी होगा लेकिन वो सुख केवल अपने लिए ही न हो दूसरो को सुखी रखने में अपना सुख ढूढों तो जीवन सुखद होगा भारत सुखी होगा समृ( होगा, सम्पन्न होगा, सर्वशक्तिमान होगा समस्त विश्व पर भारतीयो का शासन होगा। जिसके लिए सच्चे, समर्पित, देश भक्त, विश्व भक्त, मानवतावादी विचारक भारत के ही हो सकते है।

सम्पूर्ण स्वराज आन्दोलन क्यो

-हमारे स्वाधीनता आन्दोलन के महान देशभक्तों, बलिदानियों ने पूर्ण स्वराज, सम्पूर्ण स्वाधीनता की बात कही थी ना कि आज की नाम मात्रा की स्वतन्त्राता की। हम सच्चे भारतीयों को मतदान की स्वतन्त्राता मिली है। पेशेवर नेताओं को चुनने की आजादी मिली है लेकिन अंग्रेजों के पिट्ठू इंडियनस को आज भी पूरे भारत को लूटने का पूर्ण अधिकार  है। भारत और भारतीयता का ढोंग  तो करते है लेकिन मूलतः वो अंग्रेज ही बन चुके है। भारत-भारतीयता से उन्हे कोई लेना-देना नही है।



एक घन्टा प्रतिदिन राष्ट्र के नाम आर्थिक कार्य अवश्य करें।

अगर आप सच्चे भारतीय है तो ये पत्र आपके लिए है।

अगर आप इंडियन है तो इसे किसी सच्चे भारतीय को देने की कृपा करें हाँ अगर आप इसे पफाड़ कर फेंक भी देगे तो हमे बुरा नही लगेगा। अगर इसे पढ़ लेगे तो हमे पूर्ण विश्वास है कि आज के बाद आप भी भारतीय होने पर गर्व करेगे इंडियन पर नही। क्योंकि इंडिया हम पर अंग्रेजों द्वारा थोपा गया नाम है। अंग्रेजों का सपना हमारे भारतीय नेता पूरा कर रहे है।

स्वराज - स्वराज्य क्या है?

हमारा एकमात्रा उद्देश्य भारत को उस का जन्म-सिद्ध   अधिकार  स्वराज प्राप्त कराना है। मैं यह भी कह देना उचित समझता हूं कि सम्भव है कि कुछ प्रश्नों का संतोषप्रद निर्णय हो जाए, किन्तु यह शीतयुद्ध  सम्पूर्ण स्वराज की प्राप्ति के बिना शान्त नहीं हो सकता, क्योंकि जिस राज्य के कर्मचारी अपनी प्रजा को दासों की भांति समझें, भ्रष्टाचार अपने चरम पर हो और जनता की प्रतिष्ठा का मोल ना रहे, स्वत्व और ध्र्म की रक्षा करने के बजाए उसे पैरों तले रौंदें, उसके सार्वजानिक कार्यों को उपद्रव समझें, अस्त्रा-शस्त्राहीन लोगों को आक्रमणकारी समझें, निर्दोष को केवल भय उत्पन्न करने के लिए घोर दण्ड देने से नहीं झिझकें और ऐसे सरकारी कर्मचारियों को यदि हम अपने अध्किार में न ला सकें, तो उस सरकार एवं व्यवस्था को तुरन्त बदल देना ही उचित है।

स्वराज्य इतने को ही नहीं कहते कि दो-चार सौ भारतवासी उच्चाधिकारी,  गवर्नर, मंत्री  बना दिए जाएं या किसी विभाग में दो-एक उच्च पदों पर रखे जाएं। इसका अर्थ तो यह होगा कि विदेशियों के स्थान पर स्वदेशी अत्याचार करें। वास्ताविक स्वराज्य मैं उसे समझता हूं जब कि कोष, सेना, पुलिस, न्यायालय इत्यादि सब हमारे हाथों में हो। जैसा हम अपने देश और राष्ट्र के लिए हितकर समझें वैसे नियम, अध्नियम बनाएं और उनमें समयानुसार परिवर्तन कर सकें। भारत के नर-नारी, बाल-वृद्ध् समानता से, सम्मान से, स्वच्छता से समपन्न, सुखी रह सकें। सभी समृ( हो। स्वराज्य-प्राप्ति के उपाय दो हैं। एक बन्दूक, तोप व अन्य अत्यधिक  हत्यारों से हिंसात्मक क्रांति के द्वारा और दूसरा अहिंसात्मक असहयोग के द्वारा। हत्यारों का प्रयोग ठीक नहीं है और न हम उसे काम में लाएंगे, क्योंकि उस से हमको लाभ के स्थान पर क्षति होने की नितान्त सम्भावना है। क्या उससे पाशविक बल के ऊपर सत्य को विजय होते हुए प्रत्यक्ष नहीं दिखाई देती?

वर्तमान में आधी अधूरी  स्वतन्त्रता अर्थात स्वतन्त्रता के नाम पर हुए धोखे  को सम्पूर्ण स्वराज में परिवर्तित करने के लिए आप लोगों को देश की स्वतंत्राता के लिए सैनिक की भातिं तत्पर रहना चाहिए। यही काम करने का समय है। हम में सहन-शक्ति और संयम होना चाहिए। स्मरण रहे कि दो चार कोरे व्याख्यानों की बौछार से कुछ लाभ नहीं होगा। हमें कर्मवीर होकर स्वयंसेवकों की भांति अपने मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए। प्रचार के लिए ग्रामों में भ्रमण कर वहां के निवासियों में उच्च भावना उत्पन्न करनी चाहिए ताकि वे भी स्वतंत्राता के मूल्य को जान सकें।

‘राज्य’ एक बात है और ‘स्वराज्य’ दूसरी बात। राज्य हिंसा से प्राप्त किया जा सकता है, किन्तु ‘स्वराज्य’ बिना अहिंसा के असम्भव है। इसलिए जो विचारशील हैं, वे‘राज्य’ को नहीं चाहते, बल्कि यह कहकर तड़पते रहते हैं कि ‘आओ, हम सब स्वराज्य के लिए संकल्पबद्ध  होकर सार्थक जतन करें।

‘स्वराज्य’ वैदिक परिभाषा का एक शब्द है। उसकी व्याख्या इस प्रकार की जाती है। स्वराज्य माने प्रत्येक व्यक्ति का राज्य, यानि ऐसा राज्य, जो प्रत्येक को ‘अपना’ लगे, अर्थात् सबका राज्य, दूसरे शब्दों में ‘रामराज्य’।

स्वराज्य-शास्त्रा नित्य-वधर््िष्णु है, अतः उसकी पद्ध   देश-कालानुसार सतत परिवर्तनशील है, परन्तु उसके मूलतत्व शाशवत हैं। उन शाश्वतों के आधर पर यह रुपरेखा खींची गयी है। यह तो कहना नहीं होगा कि इसका विस्तार जितना चाहो, किया जा सकता है। इस काम को यथासम्भव और यथावश्यक भविष्यकाल के हवाले कर, पिफलहाल, यहीं विराम करना ठीक रहेगा।

-भू त्यागी भारतीय

भारत को भारत रहने दो इन्ड़िया ना बनाओ

कटु सत्य

प्यारे भारतवासी बन्धुवरों, सर्वप्रथम हमें ये ज्ञात होना चाहिए कि मेरे राष्ट्र का, मेरे देश का नाम क्या है। और स्मरण रहे कि नाम किसी भी भाषा में पुकारा जाए उच्चारण एक जैसा ही होगा।

जरा सोचिए जिसे हम स्वतन्त्र भारत कह रहे है वो इंडिया क्यो और कैसे हुआ एक राष्ट्र के दो नाम कैसे हो सकते है। और यहाँ तो तीसरा भी है।जरा सोचिए........

अगर हिन्दी में कोई नाम मनमोहन सिंह है तो अंग्रेजी में

चमगादड़ का सींग हो जाएगा क्या?

इसी तरह ..... सोनिया गाँधी नाम है तो क्या अंग्रेजी में

‘‘चाचिया जाली कहेंगे?

अटल बिहारी वाजपेयी को विकट बाजारी चालबाज कहेंगे क्या?

भैरोसिंह शेखावत को अंग्रेजी में खैरौ चन्द बिलावत कहेंगे क्या?

लाल कृष्ण अडवानी को काला कोआ गिडगिडानी कहेंगे क्या?,

शीला दीक्षित को केला भीक्षित,

अर्जुन सिंह को दुर्याधन सिंह,

मुलायम सिंह यादव को कठोर सिंह गीदड़ कहेंगे क्या?

राम विलास पासवान को भोगविलासी कहेंगे क्या?

लालू प्रसाद यादव को हरा प्रसाद चाराघोटाला कहेंगे क्या?

राबड़ी देवी को कबाड़ी बेबी, वृन्दा करात को कृष्ण की बारात,

बाला साहब ठाकरे को काला कुटिल खब्ती कहेंगे क्या?

ओम प्रकाश चैटाला को अन्धकार घोटाला,

नटवर सिंह को नटखट सींग, आदि - आदि



अंग्रेजों का षड़यन्त्र सफल हो रहा है

योजनाबद्ध तरीके से अंग्रेजो ने जैसा चाहा था वैसा ही इन्डिया बना जनरल डायर व अन्य अंग्रेजों की आत्मा स्वर्ग मे है या नरक में ये तो मालूम नही लेकिन अमर बलिदानी भारत वीरो की आत्मा अवश्य कराह रही है। आज जिसे हम स्वतन्त्र भारत कह रहे है वो परतन्त्र/पराधीन इंडिया है। जिसे अशिक्षित, लाचार, असंगठित रखने भरपूर प्रयास अंग्रेजों ने किया था। या सारे अंग्रेज बन जाये।

भारत को तो अभी सच्ची स्वतन्त्रता की लडाई लड़नी शेष है, वो भी अपने ही लालची, स्वार्थी, सत्ता का भूखे नेताओं से अभी तो अंग्रेजी नियमों को उनके बचे कार्यो को स्वदेशी स्वार्थी नेता पूर्ण कर रहे है, स्वतन्त्र भारत का सपना टूटने से पहले हमे सचेत रहकर शीघ्र, अतिशीघ्र, तीव्र- अति तीव्र गति से तूफानी आन्दोलन करना पड़ेगा नही तो भारत की शक्ति का दुरुपयोग करके विश्व आनन्द लेने को तैयार है हर नागरिक को मानना होगा कि हम सर्वोत्तम है, और मै ही अकेला अपने भारत को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचा   सकता हूँ।
मेरा धर्म-भारतीय, मेरा कर्म-भारत सेवा, मेरी जाति-भारतीय,

हम ही विश्व के रक्षक है, क्योकि हम सबसे महान राष्ट्र के

निवासी है, मैं भारतवीर हूँ। मैं ही भारत का महावीर  हूँ।

जय भारत, जय जगत 
                                                              
                                                                   -भू त्यागी भारतीय

शनिवार, 31 अक्तूबर 2009

jai bharat